आना हैं मौत तुझे तो दिन के उज़ाले में आना
रातें और ख़्वाब किसी बेवफ़ा के नाम कर रखे मैंने
मेरे इस छोटे से दिल में सिर्फ तुम्हीं रहती हो
इस दर्दभरी जुदाई को कैसे सह लेती हो
गर इसी रफ़्तार से मानेंगे सब खुद को खुदा
एक दिन दुनिया में बन्दों की कमी हो जाएगी
उन पर बीतेगी तो वो भी जान जायेंगे ऐ दोस्त
जब कोई नजर अदांज करता हैं तो कितना दर्द होता है
Mile to hazaaro log the zindagi me
Par wo sabse alag tha jo kismat me nahi tha
दुनिया बड़ी जालिम है हर बात छिपानी पड़ती है
दिल में दर्द होता है फिर भी होंठो पर हंसी लानी पड़ती है
कैसे फलेगी ये गूंगी मुहोब्बत
न हम बोलते हैं ना वो बोलते है
जहर के असरदार होने से कुछ नही होता दोस्त।
खुदा भी राजी होना चाहिए मौत देने के लिये।।
तुम्हारी शर्तो से शहेनशाह बनने से बहेतेर है
की अपनी शर्तो पे फ़क़ीर बन जाऊ
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा
जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है
की बाशिंदे हे हम उस आशियाने के
जिसके चमन में मुहब्बत कहानी सी रह गई
बदलता तो इंसान है
वक़्त तो सिर्फ एक बहाना है
इश्क मुकम्मल कब हुआ है जो आज होगा
इतिहास गवाह है किताबो मे भी अधुरा था हकीकत मे भी अधुरा है ..
Bas isliye har shaks shayar nahi ban pata
Bayan e dard ka hunar kisi kisi ko aata hai
लगाई तो थी आग उनकी तस्वीर में रात को
सुबह देखा तो मेरा दिल छालो से भर गया
er kasz
न जाने क्यूँ ये रात उदास कर देती है हर रोज
महसूस होता है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे
मत पूछ दास्तान ऐ इश्क
जो रूलाता है, उसी के गले लगकर रोने का मन करता है
आहिस्ता चल जिंदगी अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है कुछ फर्ज निभाना बाकी है
तुम्हारी वेबफाई ने जीते जी मार डाला
हंसती हुई मेरी जिंदगी को यूं बेजार कर डाला
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में