Bada ajeeb hota hai yeh muhabbat ka khel bhi
Ek thak jaye to dono har jaty hain
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी
फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग
सारा ही शहर उस के जनाजे में था शरीक
तन्हायों के खौफ से जो शख्स मर गया
er kasz
Soch raha hun ab bewafa hone ka tarika seekh lun
Muhabbat de de ke hum ne apni qadr kho di
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है
कफन मे लिपटा देखकर माथा चूम के मेरे दोस्त मुझसे बोले
अरे पागल, नऐ कपडे पहन लिये तो क्या अब बात भी नही करेगा
चोट लगी तो खून लाल ही निकला
सोचा था सबकी तरह ये भी बदल गया होगा
किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया है ये दिल...
कोई रहता भी नही और कमबख्त बिकता भी नही...!
ऐसा नहीं की अब तेरी जरूरत नहीं रही,
बस टूट के बिखरने की अब हिम्मत नहीं रही…
वक़्त की रफ़्तार कभी बदलती नहीं
बस ज़िन्दगी की रफ़्तार बदल जाती है
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
मिट्टी में मिला देती है हँसते हुए चेहरे
तकदीर को कहाँ रिश्तों की पहचान होती है
किसी ने आज पूछा हमसे कहाँ से लाते हो ये शायरी
मैं मुस्करा के बोला उसके ख्यालो मे डूब कर
लगता है खुदा का बुलावा आने वाला है
आज कल मेरी झूठी कसम खा रही है वो "पगली"
Naraj ho jatye h wo waffa ki bat krta hu jab unse
Lgtta hai unhye bewafai se bahut pyar hai
er kasz
गुजर जाऊँगा यूँ ही किसी लम्हे सा
और तुम वक़्त में उलझी रहना
hum wo hain jo haar k bhi yeh khte hain
woh manzil hi badnaseeb thi jo hme na paa ski
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए,
फिर रूठकर वक़्त गंवाने की जरूरत क्या है !
"शीकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी
पर जो दिया तूने वो भी बहुतो को नसीब नही
er kasz
Tanhayi Ke Aatishdaan Me Main Lakri Ki Tarah Jalta Tha
Tere Saath Tere Hamraahi Mere Saath Mera Rasta Tha