उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
मेरी हर दुआ बेकार गयी
न जाने किसने चाहा था इतनी शिद्दत से उसे !
शाख से तोड़े गये फुल ने हंसकर कहा
अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी...
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने के लिए..
न पूरी तरह से क़ाबिल न पूरी तरह से पूरा हूँ
तेरे एक दूर रहने से, देख मैं कितना अधूरा हूँ
बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे
वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे
में अक्सर अकेला रेह जाता हूँ
क्युकी में हमेश उनके सहारे रेहता हूँ
er kasz
देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती है
तू जाहिर है लफ्ज़ों में मेरे
मैं गुमनाम हुँ खामोशियों में तेरी
तुम छोड़ गये मुझको पर मैं बदल ना पाया आदतें
बस तुम्हें ही सोचना तुम्हें ही चाहना मेरा आज भी जुनून है
Silsila khayalon ka toot ta nahi goya
Zehan ke darichon mein khwab ka basera hai
तुम मुझे मोका तो दो साथ चलने का
थक जाओगी मेरी वफाओ क साथ चलते चलते
Us Ki Jeet Se Hoti Hai Khushi Mujh Ko
Yahi Jawab Mare Paas Apni Haar Ka Tha
बड़ी मुश्किल से बना हु टूट जाने के बाद
मैं आज भी रो देता हु मुस्कुराने के बाद
तू कल की तरह आज नहीँ साथ मेरे तो क्या हुआ
कैसे बताऊँ तुझे कि मोहब्बत तो हम तेरी दुरीयोँ से भी करतेँ हैँ
साफ साफ बोलने बाला कड़वा जरुर होता है
पर धोखेबाज नही
ज़ालिम ने मेरा खत बड़ी बेदर्दी से फाड़ा
मेरे अल्फाज़ की हिचकियां मेरे घर तक आईं
देर ना करना हो सके तो वक्त पर लोट आना
वरना सांसकी जगह राख मिलेगी
नशा तब दोगुना होता है
जब जाम भी छलके और आँख भी छलके
er kasz
चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़
पर सुकून भी इश्क़ से ही होता है