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Soch raha hun ab bewafa hone ka tarika seekh lun

Muhabbat de de ke hum ne apni qadr kho di

सुना है आग लग गयी है बेवफाओ की बस्ती में

या खुदा मेरे मेहबूब की खैर रखना

नसीब का खेल भी अजीब तरह से खेला हमने

जो न था नसीब में उसी को टूट कर चाह बैठे

मुझे जो पसंद हो उसे छोड़ता नहीं

पर डरो नहीं फूलों को मै तोड़ता नहीं

वहा तक तो साथ चल जहा तक मुमकीन है।

जहा हालात बदल जाये तुम भी बदल जाना

इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अबतक,
खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ.

तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे

तेरे नाम से भी इस क़दर इश्क़ है मुझ को

किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी खुदा ने

बस वही पन्ना गुम था जिसमे मोहब्बत का ज़िक्र था

मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है

बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है

ज़िन्दगी में अगर कोई अच्छा लगे तो ,
उसे सिर्फ चाहना, प्यार मत करना..
क्योकि प्यार ख़त्म हो जाता है
लेकिन चाहत कभी ख़त्म नहीं होती....

तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का,

न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो

नाराज़ क्यों होते हो चले जाएंगे तुम्हारी महफ़िल से

लेकिन पहले मुझे मेरे दिल के टुकड़े तो उठा लेने दो

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह

उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह

मुददतों से तू पी रहा है यह ज़हर दर्द का

मौत तुझे ऐ दिल फिरभी क्योँ नहीं आती

छोड़ दिया यारो किस्मत की लकीरों पर यकीन करना

जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है

रख लेता शहर को अपनी जेब में

अगर तेरी वफा बेवफा ना होती

er kasz

आज आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी मांग ली मैंने ...
सबसे ज़्यादा खुद का ही दिल दुखाया है औरों को खुश करने में ...

Maa haQ se rok deti hai khuda ko

Jab batt uski ulad par ati hai

ढूंढने पर वही मिलेंगे जो खो गए हैं

वो कभी नहीं मिलेंगे जो बदल गए हैं

हंसी आती ये सोचकर कि दर्द कोई समझता नही

मगर उन्हीं दर्दनाक अल्फ़ाज़ो पर दाद देते है लोग

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