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Bahut kuch badla he mene apne aap me lekin

Tumhe vo toot kar chahne ki aadat ab tak nahi badli

सावन के मोसम में भी तड़पता रहता हूं सारी रात

कितना बदनसीब हूं कि उनसे होती नहीं सपने में भी मुलाकात

लो तुम रख लो ये दिल

सीने में बहुत चुभता है अब

Ab Tu Humein Bi Tark-e Murasam Ka Dukh Nahi

Par Dil Yeh Chahta Hai Ke Aaghaz Tu Kare

मंजिल का नाराज होना भी जायज था

हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे

चले आती है कमरे में दबे पाँव ही हर दफ़े

तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं

तेरी यादों के नशे का आदि है ये दिल

जो इसका नशा न करू तो दिल धड़कने से मना करता है

वो बेईमान नेता सी है हर दिल से खेलती है

मै भोली जनता सा हूँ हर बार उसी को चुनता हुँ

मगरूर हमें कहती है तो कहती रहे दुनिया

हम मुड़ कर पीछे किसी को देखा नहीं करते

लगाई तो थी आग उनकी तस्वीर में रात को

सुबह देखा तो मेरा दिल छालो से भर गया

er kasz

बेवफाई के सितम तुमको भी समझ आ जाते

काश होता अगर तुम जैसा तुम्हारा कोई

मेरे आंसू और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है

कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है

दम तोड़ देती है माँ-बाप की ममता जब बच्चे कहते है

तुमने किया ही क्या है हमारे लिए

अजीब जुल्म करती है तेरी ये यादें

सोचू तो बिखर जाऊ ना सोचू तो किधर जाऊ

Ab Humara Zikar ,
Hona Chahiye Ye Laila Majnu Ke ,
Kahaani Aakhir Kab Tak

सूनो हम तो गरीब ही थे लेकिन

तुम्हे क्या कमी थी जो हमारा दिल ले गयी

जी में आता है तेरे दामन में सर छुपा के

हम रोते रहें रोते रहें

मैं ना भी रहा तो मेरी रूह वफ़ा करेगी तुझसे

ये मत समझना कि तुम्हे चाहा था बस ज़िंदा रहने तक

जिस घाव से खून नहीं निकलता

समज लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है

Mat Khao Kasame Sari Zindagi Sath Nibhane Ki…….

Hum Ne Sanso Ko Bhi Juda Hote Dekha Hai

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